सुन्दर उँगलियों वाली
एक लड़की
बुहारती है एकांत को
लगा देती है ढेर
एक कोने में
धोती है फुरसतों को
सुखाती है डोरियों पर
दो सलाइयों पर
बुनती है व्यस्तता
एक के दो
दो के चार
करीने से सजा रखती है
परम्पराएं,
मांज कर
रख देती है
इच्छाओं को
कुकर में
और बंद कर देती है
ढक्कन
पूरे प्रेशर के साथ
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