Monday, February 9, 2009

मेरे अशआर

1. नज़र आती है तू हरसू सच कहता हूँ,
तड़प उठती है आरजू सच कहता हूँ !
किसी से अब भूले से भी बात नहीं होती,
होती है बस तेरी गुफ्तगू सच कहता हूँ !!

2. कारगुजारियां जनाब की मशहूर हैं आलम-इ-इश्क में भले मगर,
कोई अदा हम पर मर नहीं सकती, मैं आशिक हो नहीं सकता ||

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