तेरी छुअन का असर शेष है हथेली पर |
लाख दीवाने भले तेरे, है तू अकेली पर |
जान-लेवा है तेरी आदत,मुंह फेर लेने की,
निकले ज़नाजा जब,खडी रहना हवेली पर|
झेलना दुशवार हो चले गर दुनिया के ताने,
कोसना हमें, इल्जाम डाल देना सहेली पर|
उम्र ढलते-ढलते हम बदल जाएँ गिला नही 'रोबिन',
रब करे वो दुल्हन सी रहे, सदा नई-नवेली पर |
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