Sunday, March 11, 2012

बाकायदा तू ही

बेहिसाब आरजुओं में लिपटी सदा तू ही तो है।
मेरी सारी अदाओं में सबसे हसीं अदा तू ही तो है।

किस तरह रोका करें खुद को तुझे देखने से,
आसमां के चाँद से बेहतर एक चंदा तू ही तो है।

अब तो रातभर आँख एक बार भी नहीं खुलती,
नशा ऐसा देने वाला वो मयकदा तू ही तो है।

बमुश्किल हुआ है कि हम मिले हों खुद को कभी,
करिश्मा ये जहाँ रोज़ हो, वो जगहा तू ही है।

दोस्त ढूंढा बहुत मिले, राजदां ढूंढा बस तू मिला,
काबिल-इ-हमसफ़र मेरा बाकायदा तू ही तो है।

Tuesday, January 3, 2012

आज एक गाने में..

मौसम फिल्म के एक गाने में कुछ शुरुआत की पंक्तियाँ हमें गदगद कर गयीं।
वो इस तरह हैं :-
तेरा शहर जो पीछे छूट रहा।
दिल में अन्दर-२ कुछ टूट रहा ।
हैरान हैं मेरे दो नैना,
ये झरना कहाँ से फूट रहा ।

और कुछ पंक्तियाँ जो मैंने कहीं पढ़ी, दिल को छू गयी इसीलिए लिख रहा हूँ यहाँ :
काश! वो नींद से सुबह जब जागे, तो मुझसे लड़ने आये,
कि तुम कौन होते हो रोज़ मेरे ख़्वाबों में आने वाले !!
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save tiger

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save animals

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