Monday, September 20, 2010

कुछ दोस्तों की कलम से

हर मुलाक़ात पर वक़्त का तकाजा हुआ।
हर याद पे दिल का दर्द ताज़ा हुआ।
सुनी थी सिर्फ ग़ज़लों में जुदाई की बातें,
अब खुद पे बीती तो हकीक़त का अंदाजा हुआ।

ठुकरा कर उसने मुझे मुस्कुराने को कहा,
मैं हँस दिया सवाल उसकी ख़ुशी का था।
मैंने वो खोया जो कभी मेरा ना था,
लेकिन उसने वो खोया जो सिर्फ उसी का था।

ख़ुशी उन्हें नहीं मिलती जो जिंदगी को अपनी शर्तों पे जीते हैं ।
ये तो ग़ुलाम है,जो दूसरों की ख़ुशी के लिए अपनी जिंदगी के मायने बदल देते हैं।।

1 comment:

  1. अपनी शर्तों पर जीने वाला हमेशा खुश रहेगा...यहां आप गलत हैं जब अपनी शर्तों पर जीना है, दूसरा कोई कुछ भी कहे...ये तो पूर्णतया अपनी मर्जी पर जीना हुआ...जो दु:ख नही सुख ही देगा

    लिखा बहुत अच्छा है..बधाई..

    http://veenakesur.blogspot.com/

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