Monday, September 20, 2010

इब्तिदा



एक लड़की से मुहब्बत इतनी ज्यादा है।
अब सारे ज़माने से बगावत का इरादा है।

नाज़ुक कली है , फूलों से भी छुप के रहे,
आजकल वहाँ काँटों की तादाद ज्यादा है।

अब हसरतें भी बेहिसाब हो चली हैं,
प्यार भी हद से गुजरने पर आमादा है।

जान निकलती है नज़र के एक-एक वार पे,
यकीं कोई करे तो कैसे, तरीका ही इतना सादा है।

रूहानी रिश्ते पर कोई रश्क करे तो करे 'रोबिन',
उनसे मुलाक़ात अब नए आसमान की इब्तिदा है।
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1 comment:

  1. जान निकलती है नज़र के एक-एक वार पे,
    यकीं कोई करे तो कैसे, तरीका ही इतना सादा है।

    क्या बात है ......!!
    बहुत सुंदर ....हर शे'र लाजवाब ......!!

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