नजाकत
उसकी आँखों में अपनी परछाई होफिर आईने की चाहत किसे
शाम ढले गुलाबी आँचल की सोहबत होफिर सोने की फुरसत किसे
नहाई जुल्फों से छिटकती बूँदें मेरे चेहरे पेफिर बताइये कहें नजाकत किसेसरे-राह 'रोबिन' इश्क करे अपने माही सेभले हो तो हो शिकायत किसेवो जरीपोश शरीक हो जाए वजूद में मेरेफिर जन्नत क्या और जरूरत किसे
waah kya nazakat se likha hain aapne...mere khayal se aapka personal best!!
ReplyDeleteबहुत ही संछिप्त और पूर्ण..
ReplyDeleteवैसे ये है किसके लिए :)
vaah!
ReplyDeletemain to deewaaana ho gaya yaar !
ReplyDeleteaap sabhi dosto aur kadradonon ka shukriya...
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