मेरा दिल तेरे इश्क में भले मजबूर सही।
दौलत के हाथों बिकना पर मुझे मंजूर नहीं।
ये दुनिया गर अपनों का ऐसे इम्तेहां लेती है,
नहीं चाहिए कोई, यहाँ से ले चल दूर कहीं।
तू हो और जरूरी असबाब हो जीने को,
फ़िर ना आसमां चाहिए 'रोबिन' ना जमीं।
मरने के बाद कुछ नसीब होता हो तो तू हो,
न किस्मत चाहिए न जन्नत की दिलकशीं।
No comments:
Post a Comment