Thursday, October 1, 2009

कुछ विचार

ना समेट अपनी जुल्फें इनको खुला रहने दे।
बाहर गर्मी बहुत है, घटा का अहसास रहने दे।

काश दिल की आवाज़ में ऐसा असर हो जाए।
हम जिसे याद करते हैं उसको ख़बर हो जाए।
- मित्र की कलम से

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर रचना ।
    ढेर सारी शुभकामनायें.

    SANJAY

    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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