जब तलक मौत सर नहीं आती।
बन्दे को ज़िन्दगी नज़र नहीं आती।
सोचो तो अँधेरा भी वरदान है,
अँधेरा ना हो तो सहर नहीं आती।
वो शमा रात को शराफत जलाती है,
सुबह तक उसकी ख़बर नहीं आती।
रोज़ बिकते हैं ईमान बाज़ार में,
शर्म होती है मगर नहीं आती।
एक लड़की है प्यार भी करती है,
कहती है मिलने को पर नहीं आती।
चाँदनी सी बिखरी है आसमां में मेरी चाहत,
कभी मेरे लिए क्यूँ वो उतर नहीं आती।
सँवरती है कहीं कोई अनजानी मेरे लिए,
बस उसकी खुशबू मुझ तक उड़कर नहीं आती।
किसी से बेपनाह मुहब्बत उसकी इबादत है,
बन्दे को ज़िन्दगी नज़र नहीं आती।
सोचो तो अँधेरा भी वरदान है,
अँधेरा ना हो तो सहर नहीं आती।
वो शमा रात को शराफत जलाती है,
सुबह तक उसकी ख़बर नहीं आती।
रोज़ बिकते हैं ईमान बाज़ार में,
शर्म होती है मगर नहीं आती।
एक लड़की है प्यार भी करती है,
कहती है मिलने को पर नहीं आती।
चाँदनी सी बिखरी है आसमां में मेरी चाहत,
कभी मेरे लिए क्यूँ वो उतर नहीं आती।
सँवरती है कहीं कोई अनजानी मेरे लिए,
बस उसकी खुशबू मुझ तक उड़कर नहीं आती।
किसी से बेपनाह मुहब्बत उसकी इबादत है,
उसको क्या जानोगे ये इबादत अगर नहीं आती।
तुझे पाना है तो तेरे दिल को छूना पड़ेगा 'रोबिन',
क्यूँकि मंजिल राही तक चलकर नहीं आती।