बेहिसाब आरजुओं में लिपटी सदा तू ही तो है।
मेरी सारी अदाओं में सबसे हसीं अदा तू ही तो है।
किस तरह रोका करें खुद को तुझे देखने से,
आसमां के चाँद से बेहतर एक चंदा तू ही तो है।
अब तो रातभर आँख एक बार भी नहीं खुलती,
नशा ऐसा देने वाला वो मयकदा तू ही तो है।
बमुश्किल हुआ है कि हम मिले हों खुद को कभी,
करिश्मा ये जहाँ रोज़ हो, वो जगहा तू ही है।
दोस्त ढूंढा बहुत मिले, राजदां ढूंढा बस तू मिला,
काबिल-इ-हमसफ़र मेरा बाकायदा तू ही तो है।