बेहिसाब आरजुओं में लिपटी सदा तू ही तो है।
मेरी सारी अदाओं में सबसे हसीं अदा तू ही तो है।
किस तरह रोका करें खुद को तुझे देखने से,
आसमां के चाँद से बेहतर एक चंदा तू ही तो है।
अब तो रातभर आँख एक बार भी नहीं खुलती,
नशा ऐसा देने वाला वो मयकदा तू ही तो है।
बमुश्किल हुआ है कि हम मिले हों खुद को कभी,
करिश्मा ये जहाँ रोज़ हो, वो जगहा तू ही है।
दोस्त ढूंढा बहुत मिले, राजदां ढूंढा बस तू मिला,
काबिल-इ-हमसफ़र मेरा बाकायदा तू ही तो है।
I am an agent of chaos and a perplexed freak !! लेकिन चंद लोग मेरे आस-पास ऐसे हैं जो मेरे लिए न केवल प्रेरणा हैं किन्तु उम्मीद की किरनें भी हैं !! बस उन्हीं को समर्पित....
Sunday, March 11, 2012
Tuesday, January 3, 2012
आज एक गाने में..
मौसम फिल्म के एक गाने में कुछ शुरुआत की पंक्तियाँ हमें गदगद कर गयीं।
वो इस तरह हैं :-
तेरा शहर जो पीछे छूट रहा।
दिल में अन्दर-२ कुछ टूट रहा ।
हैरान हैं मेरे दो नैना,
ये झरना कहाँ से फूट रहा ।
और कुछ पंक्तियाँ जो मैंने कहीं पढ़ी, दिल को छू गयी इसीलिए लिख रहा हूँ यहाँ :
काश! वो नींद से सुबह जब जागे, तो मुझसे लड़ने आये,
कि तुम कौन होते हो रोज़ मेरे ख़्वाबों में आने वाले !!
वो इस तरह हैं :-
तेरा शहर जो पीछे छूट रहा।
दिल में अन्दर-२ कुछ टूट रहा ।
हैरान हैं मेरे दो नैना,
ये झरना कहाँ से फूट रहा ।
और कुछ पंक्तियाँ जो मैंने कहीं पढ़ी, दिल को छू गयी इसीलिए लिख रहा हूँ यहाँ :
काश! वो नींद से सुबह जब जागे, तो मुझसे लड़ने आये,
कि तुम कौन होते हो रोज़ मेरे ख़्वाबों में आने वाले !!
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